Monday, 10 April 2017

क्या फर्क है ओपिनियन और एग्जिट पोल में ?


मतदान के पहले वह सर्वेक्षण ,जिसमे पहले वोटरों से पूछा जाता है की अप किस पार्टी को अपना वोट देंगे ,ओपिनियन पोल कहलाता है .मतदान के दिन जब वोटर वोट डाल  कर निकलता है ,तो सर्वे करने वाले उससे यह पूछते है की आपने किसे वोट दिया है . इस सर्वे को एग्जिट पोल कहते है .भारत में लम्बे समय तक दोनों होते रहे , पर धीरे - धीरे यह महसूस किया गया की इन सर्वेक्षणो से चुनाव में मतदाता का फैसला प्रभावित होता है . इन बातो को लेकर 22 -23 दिसम्बर 1997 को पहली बार तत्कालीन मुख्या सूचना आयुक्त डॉ एमएस गिल ने राजनितिक दलों के साथ बैय्हक कर इस विषय पर विचार - विमर्श किया .फेर्बुरी में लोकसभा और कुछ राज्यों के विधानसभा चुनाव होने वाले थे .
 
  इन पर पहली बार रोक कब लगी ?इस बैठक के बाद 11 जनवरी , 1998 को चुनाव आयोग ने एक दिशा - निर्देश जरी किया , जिसके अंतगर्त  14 फरबरी को शाम के पाँच बजे  के बाद से लेकर 7 मार्च को शाम पाँच बजे तक चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों और एग्जिट पोल के प्रकाशन पर रोक लगा दी गयी . इस दिशा - निर्देश को अदालतों में चुनौती दी गयी . सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को स्थगित नहीं किया और सन1998 का  चुनाव देश का  अकेला ऐसा चुनाव था जब कोई सर्वे प्रकाशित नहीं हुआ .
   
पाबंदी का कानून कब बना ?इसके बाद 1999 में फिर से लोकसभा चुनाव हुए . चुनाव आयोग ने फिर से वही आदेश जरी किया , पर देश के अनेक मीडिया होउसों ने इस आदेश को नहीं माना . इस पर आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी . अदालत ने इसके लिए संविधान पीठ का गठन किया . पीठ ने कहा की आयोग को इस प्रकार का आदेश जारी करने का कानूनी अधिकार प्राप्त नहीं है . सन 2004 में चुनाव आयोग ने विधि मंत्रालय से निवेदन किया की जनप्रतिनिधित्व क़ानून में बदलाव कर के ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल पर रोक लगे जाये .                                                इस सुझाव को आंशिक रूप से स्वीकार किया गया और फरबरी 2010 में उपरोक्त अधिनियम की धरा -126 (ए) में संशोधन कर के एग्जिट पोल पर रोक लगा दी गयी . इसके बाद नवम्बर , 2013 में चुनाव आयोग ने राजनितिक दलों के साथ फिर से विमर्श किया की ओपिनियन पोल पर रोक लगे जाये . इस पर भाजपा को छोर कर सभी दलों ने राय दी की चुनाव की घोषणा होने के बाद ओपिनियन पोल पर पाबंदी लगा दी जाये . यह सुझाव विधि मंत्रालय को दिया गया , उसके बाद इस विषय में कोई कार्यवाही नहीं हुई .विदेश में क्या व्यवस्था है ?यूरोपीय देशो में मतदान के 24 घंटे से लेकर एक महीने पहले तक ओपिनियन पोल पर रोक है . फ्रांस में सन 1977 में सात दिन पहले की रोक लगे गयी थी . जिस पर यहाँ की एक अदालत ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर रोक मानते हुए इसे ख़ारिज कर दिया . फ्रांस में यह रोक अब 24 घंटे पहले की है . इंग्लैंड में ओपिनियन पोल पर कोई रोक नहीं है . यहाँ एग्जिट पोल मतदान पूरा होने के बाद ही प्रकाशित किये जा सकते है . अमेरिका में ओपिनियन पोल लोकतान्त्रिक व्यवस्था का हिस्सा मने जाते है . 
धन्यवाद

Thursday, 6 April 2017

विश्व का सबसे ऊँचा पेड़ कौन सा है ?


दुनिया का सबसे ऊँचा जीवित पेड़ है रेडवुड नेशनल पार्क , कैलिफोर्निया में खड़ा 'कोस्ट रेडवुड ' ,जिसकी ऊंचाई है -115.66 मीटर यानी 379 फुट . कुतुबमीनार से भी ऊँचे इस पेड़ की तुलना कुछ और चीजो से करे , तो पाएंगे की यह अमेरिकी संसद भवन और स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी से भी ज्यादा ऊँचा है ,
                               और सबसे बड़ा यानि सबसे ज्यादा जगह घेरने वाला सिंगल स्टैम पेड़ है -जेनरल शर्मन .आसानी से समझने के लिए सबसे ज्यादा लकड़ी देने वाला पेड़ .जेनरल शर्मन पेड़ अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य के सेक्योवा नेशनल पार्क में मौजूद है. दरअसल , यह मनुष्यों को ज्ञात सबसे विसाल वृक्ष भी नहीं है .ट्रिनिडाड , कैलिफोर्निया के पास क्रैनेल क्रीक जाइंट पेड़ जेनरल शर्मन के मुकाबले 15 से 25 प्रतिशत ज्यादा बड़ा था .पर उस पेड़ को 1940 के दशक में काट दिया गया . 

धन्यवाद |

'स्थगन प्रस्ताव 'क्या होता है ?


हमारी संसद के दोनों सदनों के नियमो में सार्वजनिक महत्व के मामले बिना देरी किये उठाने की कई व्यवस्था है , इनमे कार्य स्थगन प्रस्ताव भी है . इसके द्वारा लोक सभा के नियमित कम -काज को रोक कर तत्काल महत्वपूर्ण मामलो पर चर्चा कराइ जा सकती है .इसके अलावा कई और तरीके है ,जैसे की ध्यानाकर्षण ,आपातकालीन चर्चाएं , विशेष उल्लेख , प्रस्ताव (मोशन) ,संकल्प ,अविश्वास प्रस्ताव ,निंदा प्रस्ताव वगैरह .दिन में कितनी बार सदन स्थगित हो सकता है यह परिस्थितियों पर निर्भर करता है .
धन्यवाद

'कोरम ' क्या है ?


कोरम शब्द मूलतः लैटिन भाषा का है ,जो अंग्रेजी में भी चलता है अब यह भारतीय भाषाओं में भी चलने लगा है .हिंदी में इसका समानार्थी शब्द 'गणपूर्ति 'है . किसी सभा ,संसद या संसथान की बैठक के लिए जरूरी न्यूनतम सदस्यों की संख्या को'कोरम या गणपूर्ति ' कहते है . माना जाता है की यदि इस न्यूनतम आवश्यक संख्या में सदस्य उपस्थित नहीं हो , तो सभा वैध नहीं होगी . यूनाइटेड किंगडम में हाउस ऑफ़ कॉमर्स के लिए 40 सदस्यों की न्यूनतम उपस्थिति को और हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स में किसी विषय पर मतदान होना हो,तो 30 सदस्यों की न्यूनतम उपस्थिति होनी चाहिए , पर केवल चर्चा के लिए 3 सदस्य ही काफी है . भारतीय संविधान के अनुच्छेद -100 के अनुसार संसद के दोनों सदनों में गणपूर्ति सदन के कुल सदस्यों की संख्या का कम से कम 10वां भाग होगी .
                     संविधान में लिखा गया है की यदि सदन की अधिवेशन के दौरान गणपूर्ति नहीं है , तो सभापति या अध्यक्ष या उस रूप में कार्य करने वाले व्यक्ति का यह कर्त्तव्य होगा की वह सदन को स्थगित कर दे .

धन्यवाद

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